कोरोना वायरस क्या है
- By swasthyashoppe
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कोरोना वायरस बीमारी फैलाने वाला एक बड़ा वायरस परिवार है जो साधारण सर्दी-जुकाम से लेकर मर्स और सार्स जैसे कई गंभीर रोगों की वजह है। जानिए क्या है कोरोना वायरस ? और इस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देश-
अन्य हालिया महामारियां-
सिवियर एक्यूट रेस्परेटरी सिंड्रोम (सार्स-सीओवी)
इसकी पहचान साल 2003 में हुई। साल 2002 में चीन में पहला इंसान संक्रमित हुआ। 2002-2003 में चीन/हांगकांग में करीब 650 लोगों की मौत हुई। माना जाता है यह बिल्लियों जैसे बिलाव के जरिए इंसानों में आया था।
मिडिल ईस्ट रिस्परेटरी सिंड्रोम (मर्स-सीओवी)
इस संक्रमण का पहला मामला साल 2012 में सऊदी अरब में देखा गया। मिडिल ईस्ट में इस वायरस के संक्रमण से 800 से अधिक लोगों की जान गई। यह संक्रमण ऊंट के जरिए इंसानों में फैला।
नया कोरोना स्ट्रेन (चीन में सार्स जैसा वायरस)
पहला मामला चीन के वुहान में दिसंबर 2019 के अंत में दिखा।
अगले कुछ महीनों में कई अन्य देशों में भी इसके संक्रमण की खबरें मिलीं। अब तक 8000 लोगों की इससे मौत हो चुकी है। वुहान का सी-फूड बाजार इस महामारी की शुरुआत का केंद्र था। मानव से मानव संक्रमण फैलने की पुष्टि हुई।
COVID-19 पर WHO के दिशा निर्देश
मास्क का इस्तेमाल कब करें
एक स्वस्थ व्यक्ति तभी मास्क पहने जब वह किसी संदिग्ध 2019-नोवल कोरोना वायरस वाले व्यक्ति की देखरेख कर रहा हो
खांसी और छींक आने की स्थिति में आपको मास्क लगाना चाहिए
मास्क लगाना तभी कारगर साबित होगा जब आप उसके साथ एल्कोहल युक्त हैंड सेनिटाइजर या साबुन से अच्छी तरह अपने हाथों को साफ कर रहे हों
अगर आप मास्क पहन रहे हों तो आपको उसके इस्तेमाल और उसका सही तरीके से निपटान करने की पूरी जानकारी होना जरूरी है
खानपान में सावधानी
कच्चे मीट और पकाए जाने वाले भोजन के लिए अलग-अलग चाकू और चॉपिंग बोर्ड का इस्तेमाल करें
खाना बनाने से पहले और बाद में अपने हाथों को अच्छी तरह से धोना चाहिए
दूसरों को बीमार होने से बचाएं
खांसने और छींकने की स्थिति में अपने मुंह को टिशू पेपर या अपनी मुड़ी हुई कोहनी से ढकें।
टिश्यू इस्तेमाल करने के तुरंत बाद उसे डस्टबिन में डालें
बीमार होने से बचने के लिए खांसने और छींकने के तुरंत बाद और किसी व्यक्ति की बीमार व्यक्ति की देखभाल करते समय अपने हाथों को एल्कोहल युक्त हैंड सेनिटाइजर या साबुन और पानी से अच्छी साफ करें।
कोरोना वायरस : जानिए खुद का आइसोलेशन कैसे करें
महामारी बढ़ने की स्थिति में तनाव कैसे कम करें
संकट के दौरान आप सामान्य तौर पर दुखी, चिंतित, भ्रमित, डरे हुए या क्रोधित हो सकते हैं
भरोसेमंद और मदद करने योग्य व्यक्तियों से बात करें। अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों से संपर्क करें
अगर आपका घर पर रहना जरूरी है तो स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं। अच्छा खानपान, नींद और व्यायाम करने पर जोर देना चाहिए। जान पहचान वालों और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ ई-मेल या फोन के माध्यम से संपर्क बनाए रखें।
मानसिक रूप से भावुक होने की स्थिति में किसी भी प्रकार के ड्रग्स, एल्कोहल या धूम्रपान का इस्तेमाल करने से बचें।
अगर आप ज्यादा चिंतित महसूस कर रहे हैं तो आप किसी स्वास्थ्यकर्मी या काउंसलर से परामर्श ले सकते हैं। इसके साथ ही शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए मदद कहां से लेनी है, या उस दौरान क्या करना है आदि जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
खतरे को कम करने के लिए इससे संबंधित सभी प्रकार की सही और सटीक जानकारी हासिल करें। आप चाहें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट, जिला या राज्य स्वास्थ्य एजेंसी से इसकी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
कोरोना पर मीडिया टीवी चैनल पर दिखाए जा रहे कार्यक्रम जिनको देखने या सुनने पर चिंता और बैचेनी होने लगे उन्हें देखने से बचें।
अपने पिछले अनुभव जिसमें आपने विपरीत परिस्थितियों का सामाना किया था उसी धैर्य से इस महामारी का सामना करें।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में इसके संक्रमण के 136,895 मामलों की पुष्टि हो चुकी है.
कोरोना वायरस कोविड 19 क्या है और यह कैसे फैलता है? इससे बचने के लिए आप नियमित रूप से और अपने हाथ साबुन और पानी से अच्छे से धोएं.
कोरोना वायरस से बचाव के लिए केंद्र और राज्य सरकार भले ही तमाम जतन कर रही हों, लेकिन स्वास्थ्य महकमा इसे लेकर पूरी तरह उदासीन बना हुआ है। शासन की सख्ती के बाद खानापूर्ति के लिए जिला अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है, लेकिन इसमें न डाक्टर हैं न एक भी कर्मचारी। हैरान करने वाली बात यह है कि आई वार्ड में आइसोलेशन वार्ड बना दिया गया है, जहां दिनभर में सैकड़ों लोग आते जाते हैं। ऐसे में अगर किसी संक्रमित को वार्ड में रखा गया तो संक्रमण फैलने का खतरा और बढ़ जाएगा। इस वार्ड में दस बेड रखे गए हैं। शनिवार को बेडों पर गंदे चादर बिछाए गए थे। उन पर धूल और मिट्टी पड़ी थी।
जिला अस्पताल में कोरोना की जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। डाक्टरों का कहना है कि यदि किसी व्यक्ति के अंदर जांच के लक्षण मिलते हैं तो उसके ब्लड का सैंपल लेकर जांच के लिए लखनऊ या वाराणसी भेजना होगा। उसके बाद यदि पुष्टि होती है तो मरीज को वेंटीलेटर के लिए प्रयागराज या फिर लखनऊ रेफर करना होगा। हैरानी की बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग दावे तो कर रहा है, लेकिन कोरोना को लेकर जरा भी सावधानी नहीं बरती जा रही है। दरअसल, विभाग खुद मरीजों की जांच करने को लेकर संजीदा नहीं है।
खानापूर्ति के लिए कंट्रोलरूम खोलकर मरीज के आने का इंतजार किया जा रहा है। अस्पताल में इन दिनों सर्दी-जुकाम, बुखार, जकड़न और सांस फूलने जैसी समस्या से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ी है। करीब-करीब यही लक्षण कोरोना के भी हैं। डाक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं, लेकिन किसी से उनकी हिस्ट्री नहीं पूछी जा रही है। हालांकि जिले के लोगों के लिए राहत भरी खबर यह है कि यहां अभी तक कोरोना के एक भी संदिग्ध नहीं मिले हैं।
कोरोना के संदिग्ध मरीजों को रखने के लिए जिला अस्पताल में जहां आइसोलेशन वार्ड तैयार किया गया है, उसके ठीक पीछे भीषण गंदगी है। देखने के बाद लगता है जैसे वर्षों से वहां सफाई नहीं हुई है। आई वार्ड के ठीक पीछे कर्मचारियों के आवास के बगल खाली पड़ी जगह में भारी कूड़ा-कचरा के साथ गंदे कपड़े फेंके हुए हैं। इसी के ठीक सामने आइसोलेशन वार्ड है।
बीते तीन-चार दिनों से मौसम में जारी उठापटक के चलते इस समय सर्दी-जुकाम, बुखार और वायरल के मरीज तेजी से पड़े हैं। दिन-रात के तापमान में अंतर और सर्दी-गर्मी के बीच लोग तेजी से वायरल और सर्दी-जुकाम की चपेट में आ रहे हैं। सिरदर्द के साथ ही बच्चों और बुजुर्गों में निमोनिया की भी शिकायतें लगातार मिल रही हैं। टीवी के साथ ही अखबारों में कोरोना के भी यही लक्षण पढ़कर लोग दहशत में आ जा रहे हैं।
खांसी आने पर भी लोग तुरंत अस्पताल भाग रहे हैं। जिला अस्पताल के फिजिशियन डा. मनोज खत्री ने बताया कि इन दिनों वायरल और जुकाम के मरीज बढ़े हैं, लेकिन घबराने की बात नहीं है। मौसम के चलते लोगों में ऐसे लक्षण मिल रहे हैं। सात दिन के भीतर अपने आप यह समस्या दूर हो जाती है। बालरोग विशेषज्ञ डा. अनिल गुप्ता ने बताया बच्चों को निमोनिया की शिकायत है। मौसम में उतार-चढ़ाव के चलते उन्हें जकड़न हो रही है और सांस लेने में दिक्क्त हो रही है। कोरोना की दहशत का असर है कि लोग तुरंत बच्चों को लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। जिससे बच्चों का समय पर इलाज हो जा रहा है। हालांकि इसका कोरोना वायरस से कोई संबंध नहीं है। बच्चों को निमोनिया की शिकायत है।
शनिवार को जिला अस्पताल में भी डाक्टरों और कर्मचारियों में कोरोना का खौफ दिखा। जिला अस्पताल की ओपीडी में सभी डाक्टर मास्क पहनकर मरीजों का इलाज कर रहे थे। जिला अस्ताल के सर्जन कक्ष में शनिवार को चार-पांच डाक्टर बैठे थे। कोरोना वायरस को लेकर ही चर्चा छिड़ी थी। डाक्टर खुद एक-दूसरे को सलाह दे रहे थे कि कोराना वायरस से बचाव के लिए खुद की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ानी होगी। मौसम के बदलाव से खुद को प्रभावित होने से बचाना होगा। जिला अस्पताल के तकरीबन सभी कर्मचारी भी शनिवार को मास्क पहनकर घूमते नजर आए।
जिस कोरोना वायरस को लेकर दुनियाभर में डर का माहौल है दरअसल वह कोविड-19 नाम का नया वायरस है। इसका कोई इलाज या टीका अभी तक विकसित नहीं किया जा सका है। जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. मनोज खत्री ने बताया कि कोरोना पहले से लोगों को होता रहा है। यह एक तरह का फ्लू है।
यह वायरल फीवर में भी होता था। अभी दुनियाभर में जो फैल रहा है वह नोबेल कोरोना यानि कोविड-19 वायरस है। यह सामान्य कोरोना वायरस से दस गुना ज्यादा ताकतवर है। शरीर में एंटीबाडीज बनाने का मौका ही नहीं देता है।
नोबेल कोरोना वायरस उन लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक है जो पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे हैं। यानि रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर यह वायरस ज्यादा हमलावर होता है। जिला अस्पताल के फिजिशिन डा. मनोज खत्री ने बताया कि अगर किसी में नोबेल कोरोना वायरस के लक्षण हैं और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता ठीक है तो उसकी मरने की आशंका न के बराबर है। यह वायरस बुजुर्गों, डायबिटीज, हर्ट के मरीज, दमा, ब्लड प्रेशर, किडनी के मरीज, एचआईवी पीड़ित, खून की कमी से जूझ रहे लोग और कैंसर के मरीजों के लिए अधिक घातक है। नोबेल कोरोना वायरस से पीड़ित होने के बाद व्यक्त का फेफड़ा जकड़ जाता है। जिससे उसमें आक्सीजन नहीं पहुंचती और दम घुटने से मौत हो जाती है।
डाक्टर मनोज खत्री ने बताया कि जिला अस्पताल में इसकी जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। सीने में भारीपन, जकड़न, सांस लेने में दिक्कत, खांसी, जरा सा चलने में सांस फूल जाना नोेबेल कोरोना वायरस के लक्षण हैं, लेकिन किसी पीड़ित व्यक्ति के कहीं संपर्क में आने के बाद ही किसी को संदिग्ध माना जाएगा। जब तक कान्टैक्ट हिस्ट्री नहीं रहेगा तब तक किसी को संदिग्ध नहीं माना जा सकता है। अगर कोई विदेश से आया है, या फिर विदेशों से आने वाले के कहीं से संपर्क में आया है और ये सारे लक्षण उसमें हैं तभी उसे संदिग्ध माना जाएगा। यहां कोई सुविधा नहीं है। संदिग्ध का ब्लड सैंपल लेकर जांच के लिए लखऊ या वाराणसी भेजा जाएगा।